चेन्नई.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) के इतिहास में पहली बार मिक्स्ड रियलिटी माध्यम से दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। समारोह वास्तविक और आभासी (वर्चुअल) दुनिया के तालमेल से पूरी तरह से ऑनलाइन आयोजित किया गया था और इसमें दर्शाया गया कि सभी के बीच संवाद कैसे किया जा सकता है। 57 वें दीक्षांत समारोह में कुल 2,346 डिग्रियां प्रदान की गई। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित और कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक भौतिकी के चांसलर अध्यक्ष प्रो. डेविड जे ग्रॉस ने बतौर मुख्य अतिथि आयोजन की गरिमा बढ़ाई। आईआईटी मद्रास के निदेशक मंडल के अध्यक्ष और महिंद्रा एंड महिंद्रा के प्रबंध निदेशक डॉ. पवन गोयनका ने दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की।
अमेरिका के सांता बारबरा से स्नातकों को संबोधित करते हुए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित और कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक भौतिकी के चांसलर अध्यक्ष प्रो. डेविड जे ग्रॉस ने कहा, आप में से बहुत-से लोग आज अपनी शिक्षा पूरी कर रहे हैं और अगले कुछ वर्ष कैसे होंगे इस बारे में सोच रहे होंगे। एक बात मैं यकीन से कह सकता हूं कि आपको इसका स्पष्ट जवाब कोई नहीं दे सकता है। दुनिया तेजी से बदल रही है और पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रम से स्पष्ट है कि दूर की क्या कहें, अगले कुछ सप्ताह का भी पूर्वानुमान कठिन है। यही विज्ञान और विज्ञान में कैरियर का सच है।
इसके अतिरिक्त प्रो. डेविड जे ग्रॉस ने कहा, जीवन की अहमियत वर्षों जीने की नहीं बल्कि खास पलों को जीने की है। जीवन के घटनाक्रम को पीछे मुड़ कर देखें तो यह कुछ अविस्मरणीय क्षणों का संग्रह है। किसी को न तो हमारे आदि का स्मरण होगा और न ही अंत याद रहेगा। आपके लिए यह क्षण आदि और अंत दोनों है। आप में से कई लोगों के लिए यह कॉलेज की पढ़ाई का अंत है और छात्र ऋण चुकाने की शुरुआत है। आप में से बहुत-से लोगों के लिए यह ज्ञान का भंडार अर्जित करने की प्रक्रिया समाप्त करने और इस ज्ञान का उपयोग शुरू करने या फिर अगली पीढ़ी तक पहुंचाने की शुरुआत है। आप में से बहुत-से लोगों के लिए यह औपचारिक शिक्षा का समापन है और तथाकथित वास्तविक जीवन की शुरुआत है।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. पवन गोयनका, अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईआईटी मद्रास ने बताया, 2020 का यह वर्ग आपको एक विशिष्टता प्रदान करता है। आपको एक ऐसे संस्थान से स्नातक होने का गौरव होगा जिसे भारत में लगातार 5 वर्षों से नं. 1 इंजीनियरिंग कॉलेज का दर्जा दिया गया है। इसके अलावा आईआईटी मद्रास नवाचार की उपलब्धियों के लिए संस्थानों की अटल रैंकिंग में आज भी नंबर 1 है।
डॉ. पवन गोयनका ने कहा, महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को लेकर युवाओं की क्षमताओं में विश्वास और सहयोग की शक्ति ठीक वैसी ही है जिसकी आज हमारे देश को आवश्यकता है। इस महामारी ने हमें इसकी नए सिरे से व्याख्या करने का अवसर दिया है कि हम कैसे काम करते हैं और कैसे रहते हैं और एक बार इस वायरस की चपेट में आने के खतरे से छुटकारा मिल जाने पर, यह नई स्थिति वस्तुत: उससे बेहतर हो जाएगी जिसे हम पीछे छोड़ चुके होंगे। कोविड ने जीवन की समस्त धाराओं में तकनीक को अपनाने की गति को तेज कर दिया है। जिन बदलावों में 5-6 वर्ष लग सकते थे, वे केवल 3-4 महीनों में ही आ गए हैं।
आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. भास्कर राममूर्ति ने परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को वर्चुअल माध्यम से डिग्री प्रदान की।
दीक्षांत समारोह में पहली बार यूजी प्रोग्राम से अपग्रेड कर इंटर-डिसिप्लिनरी डुअल-डिग्री के 59 छात्रों को डेटा विज्ञान, कंप्युटेशनल इंजीनियरिंग, रोबोटिक्स, नैनोटेक्नॉलॉजी एवं इमर्जिंग सिस्टम्स में मास्टर डिग्री प्रदान की गई और उद्योग जगत के 51 छात्रों को इंजीनियरिंग स्पेशियलाइजेशन एवं बिजिनेस एडमिनिस्ट्रेशन में हमारे वेब-आधारित एग्जेक्युटिव प्रोग्रामों की मास्टर डिग्री प्रदान की गई।