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आईआईटी:स्टूडेंट्स की पसंद इकोनॉमिक्स क्योंकि विदेशी बैंकों में ‌‌1.5 करोड़ तक का पैकेज, भारत में स्टूडेंट्स को 40 लाख रुपए तक का पैकेज मिल रहा है। (IIT: Students’ Choice Economics because foreign banks are getting a package of up to ??1.5 crore, students in India are getting a package of up to Rs. 40 lakhs)
  • आईआईटी में स्टूडेंट्स की पसंद बदल रही है, साल 2018-2019 की ओपनिंग व क्लोिजंग रैंक में इकोनाॅमिक्स चुनने वाले छात्रों की संख्या में काफी बढ़ोतरी रही, कोरोना काल में आईआईटी में ज्यादा मांग बढ़ेगी
  • इकोनॉमिक्स : बैंकों, निवेश करने वाली कंपनियाें में अच्छे अवसर है। खास बात यह है कि विदेशों में 1.5 करोड़ रुपए का पैकेज मिल जाता है

आईआईटी बी-टेक कार्यक्रमों के लिए पहचानी जाती है, लेकिन अब छात्रों की पसंद धीरे-धीरे बदल रही है। सामाजिक विज्ञान (इकोनॉमिक्स) के नए कोर्स छात्रों की पसंद में शामिल हो रहे हैं। अच्छी रैंक वाले छात्र भी इन कोर्स को चुनने लगे हैं। साल 2019 की ओपनिंग व क्लोजिंग रैंक के आंकड़े बताते हैं कि कई छात्रों ने आईआईटी बॉम्बे, कानपुर व खड़गपुर में इकोनॉमिक्स विषय को चुना। इनमें अच्छी रैंक वाले छात्र भी शामिल हैं। आईआईटी बॉम्बे में इकोनॉमिक्स विषय की ओपनिंग व क्लोजिंग रैंक 1312-1885वीं रही।

जबकि आईआईटी कानपुर में 1681-2347 और खड़गपुर आईआईटी में यह रैंक 2959-4780 रही। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह बेहद चौंकाने वाला है। इकोनाॅमिक्स पूरे देश में लोकप्रिय विषय है, क्योंकि-छात्र स्कूलिंग समय में इसे सामाजिक विज्ञान के तौर पर पढ़ते रहे हैं। आईआईटी में भी इकोनाॅमिक्स छात्रों की पसंद बनता जा रहा है। बड़ी वजह यह भी है कि इकोनॉमिक्स छात्रों की कम्प्यूटिंग स्कील बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। आईआईटी बॉम्बे में बीएस इकोनॉमिक्स में दाखिला जेईई एडवांस्ड के जरिए दिया जाता है। आईआईटी मद्रास में इकोनॉमिक्स में दाखिले के लिए कोई क्राइट एरिया नहीं है।

कम्प्यूटर साइंस छोड़ मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग चुन रहे अच्छे पैकेज के लिए

आईआईटी में मैथ्स/मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग विषय अच्छी रैंक वालों को मिल रहे हैं। आईआईटी बॉम्बे का उदाहरण लीजिए। पिछले साल ऑल इंडिया 98वीं रैंक लाने वाले छात्र को बीएस मैथेमेटिक्स सीट अलॉट की गई। इस कोर्स के लिए प्रवेश के पहले राउंड में ओपन कैटेगरी 1041वीं रैंक पर बंद हुई। आईआईटी दिल्ली में बीटेक मैथेमेटिक्स एंड कम्प्यूटिंग की ओपनिंग रैंक 95 से शुरू हुई।

कई स्टूडेंट्स जो अच्छी रैंक लाते हैं, उन्हें कम्प्यूटर साइंस व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग जैसे कोर्स आसानी से मिल सकते हैं, लेकिन वे मैथेमेटिक्स एंड इकोनॉमिक्स जैसे विषय ले रहे हैं। इनमें ज्यादातर कोर्स दो से चार साल के हैं। आईआईटी बॉम्बे के एक प्रोफेसर ने कहा कि बीएस गणित में दाखिला अच्छी रैंक लाने वाले छात्रों को ही मिल रहा है।

एक्सपर्ट से जानें क्यों बदल रहा आईआईटी में इकोनॉमिक्स का ट्रेंड

टेक्नोलॉजी व इकोनॉमिक्स विषय एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं
आईआईटी में इकोनॉमिक्स प्रोफेसर का कहना है कि इकोनॉमिक्स हर स्थिति में बेहतरीन विषय है। टेक्नोलॉजी व इकोनॉमिक्स विषय एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। बैंकिंग में निवेश, परामर्श व डेटा विश्लेषण करने वाली फर्मों में नौकरी पाने के लिए इकोनॉमिक्स में डिग्री काफी मदद करती है। अगर यह डिग्री किसी आईआईटी से हासिल की गई हो तो यह और ताकतवर हो जाती है। इस वजह से कुछ छात्र आईआईटी बॉम्बे में इकोनॉमिक्स को अतिरिक्त विषय के तौर पर भी चुन रहे हैं।

अब मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग जितना पैकेज मिल रहा इकोनॉमिक्स से
आईआईटी दिल्ली से मैथ्य कम्प्यूटिंग कर चुके गौरव गोयल का कहना है कि मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग विषय पसंद किए जा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि विदेशी बैंक व फेसबुक व गूगल जैसी कंपनियों में इन छात्रों को 1 से 1.5 करोड़ रुपए तक का पैकेज आसानी से मिल जाता है। इकोनॉमिक्स विषय पसंद होने की बड़ी वजह भी यही है। इस कोर्स में भी इन्हीं कंपनियों में 1 करोड़ रुपए से ज्यादा का पैकेज मिलने लगा है। बैंक निवेश, कंसलटिंग जैसी कंपनियों में इकोनॉमिक्स से डिग्री लेने वाले छात्रों की मांग बढ़ने लगी है।

कोरोना में कंपनियां डूबने से अब इकोनॉमिक्स की डिमांड बढ़ेगी
जयपुर के शिशिर गोयल आईआईटी खड़गपुर से इकोनॉमिक्स से ही डिग्री कर रहे हैं। वे कहते हैं-हर कंपनी को अब फाइनेंस पर फोकस करना करता है। इसलिए यह कोर्स पसंद बन रहा है। खड़गपुर से आईआईटी कर चुके सांवरमल प्रजापत कहते हैं-इस साल गेट एग्जाम में भी इकोनॉमिक्स को शामिल किया गया है। कोरोना काल में कई कंपनियां डूब गई, क्योंकि-उनके पास फाइनेंस को संभालने की प्लानिंग करने वाले लोगों की संख्या कम है। इन कंपनियों को ऐसे लाेगों को अब ज्यादा जरूरत होगी।

समझिए मैथ्य एंड कम्प्यूटिंग और इकोनाॅमिक्स विषय में देश-विदेश में पैकेज में क्या फर्क है?

मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग: दिल्ली में 5 और कानपुर आईआईटी में 4 साल का कोर्स है। आईआईटीएन गौरव कहते हैं कि कम्प्यूटर साइंस की सभी डिटेल मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग में भी कवर हो जाती है। इस कोर्स के बाद यूएस के जेपी मॉर्गन बैंक, जर्मनी का ड्यूएस बैंक, यहां छात्रों को बड़े ऑफर मिल जाते हैं। फेसबुक व गुगल जैसी सॉफ्टवेयर कंपनी में विदेशों में 1 से 1.5 करोड़ रुपए तक का पैकेज मिल जाता है। जबकि भारत में इनके ऑफिस में 25 से 30 लाख रुपए का पैकेज होता है।