चेन्नई : एक वेबिनार में इसरो (ISRO) का दिलचस्प वाकया सामने आया है. वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.माइलस्वामी अन्नादुजराई (Dr. Mylswamy Annadujrai) ने रविवार को ये किस्सा बयान किया. दरअसल वर्ष 2011 में रूस की अंतरिक्ष एजेंसी के साथ मिशन चंद्रयान -2 (Chandrayaan-2) पर काम हो रहा था, तभी उनके पीछे हटने की वजह से इसरो को अपनीयोजना में बदलाव करना पड़ा.
‘चंद्र और मंगल मिशन’
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वरिष्ठ अधिकारी अन्नादुजाराई ने कहा कि दो साल बाद 2013 में पहले से तय तत्कालीन चंद्रयान -2 में तकनीकि बदलाव के बाद उसे मार्स ऑर्बिटर मिशन (Mars Orbiter Mission) यानी मंगलयान के रूप में संशोधित करने के बाद लॉन्च किया गया.
वर्तमान में तमिलनाडु स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी में बतौर वाइस प्रेसिंडेट काम कर रहे डॉक्टर अन्नादुजराई ने आईआईटी मद्रास द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में स्कूली छात्रों को संबोधित करते हुए अपने इसरो के सफर के बारे में जानकारी दी.
मिशन में यूं हुआ बदलाव
मिशन चंद्रयान -1 की इस कामयाबी यानि चांद की सतह पर पानी के सबूत मिलने के करीब साल भर के भीतर इसरो का दल, रूसी स्पेस एजेंसी के साथ चंद्रयान-2 पर काम कर रहा था. इस मिशन में इसरो का अलग रोल था वहीं रूसी एजेंसी को एक लैंडर के साथ आना था. लेकिन अचानक रूस ने अपने कार्यक्रम में बदलाव की जानकारी दी और उन्हे पीछे हटना पड़ा.